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वन देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर दलमा सेंदरा का आगाज

 दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा का आगाज हो चुका है. आज शनिवार की शाम को दलमा राजा राकेश हेंब्रम दलमा पहाडी के तराई गांव फदलोगोडा के समीप पूजा अर्चना कर वन देवी-देवताओं को सेंदरा के लिए आह्वान करेंगे. वे वन देवी-देवताओं के चरणों में नतमस्तक होकर शिकार पर्व खेलने के लिए अनुमति मांगेंगे. 

पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र की होगी पूजा

वहीं रविवार की सुबह को पुन: दिसुआ शिकारियों के साथ फदलोगोडा के समीप पूजा अर्चना करेंगे. यहां शिकार में उपयोग होने वाले अस्त्र-शस्त्रों की पूजा अर्चना की जायेगी. साथ ही वन देवी-देवताओं से अच्छी बारिश व फसल के लिए भी आशीष मांगा जायेगा. इस वर्ष अधिक संख्या में सेंदरा वीरों के आने की उम्मीद है. क्योंकि पिछले दो सालों से कोरोना की वजह से दिसुआ सेंदरा नहीं हो पा रहा था. 


हजारों की संख्या में सेंदरा वीरों के पहुंचने की उम्मीद

दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने झारखंड, बंगाल, ओडिशा समेत अन्य प्रदेशों के दिसुआ शिकारियों को खिजुर पत्ते से बने निमंत्रण पत्र भेजा है. मालुम हो कि आदिवासी समुदाय आदि काल से सेंदरा पर्व की परंपरा को मनाते आ रहे हैं. सेंदरा का अर्थ सिर्फ जंगली पशुओं का शिकार करना बिलकुल नहीं है. बल्कि इसका अर्थ सघन तलाश करना भी है. 

आदि काल में वन-जंगल काफी घने हुआ करते थे. इस वजह से दिसुआ सेंदरा के दौरान समूह बनाकर जंगलों में जाते थे. दवाई के रूप में उपयोग पेड-पौधों को देख आते थे. कई लोग इस दौरान जडी-बूटियों को लेकर भी आते हैं. लेकिन बताते चलें कि हाल के दिनों में आदिवासी समुदाय भी जानते हैं कि जंगली पशुओं की संख्या घट गयी है. इस वजह से आदिवासी समुदाय अब सेंदरा परंपरा को सांकेतिक रूप में निवर्हन करते हैं.

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